महिला सशक्तिकरण निबंध Mahila sashaktikaran IN HINDI
महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को शक्तिशाली बनाना अर्थात उन्हें उनका वास्तविक अधिकार प्रदान कराना जिससे वह अपने जीवन संबंधी फैसले स्वयं निर्धारित कर सकें तथा अपना जीवन स्वतंत्रतापूर्वक जी सकें।
समाज में नारी पुरुष दोनों को समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए दुनिया के किसी भी देश का विकास महिला सशक्तिकरण के आभाव में संभव नहीं है
प्राचीन भारतीय संस्कृति में नारी को स्वयं शक्ति स्वरूपा कहा गया है ऋग्वेदिक काल में नारी पुरुष के सहभागिनी हुआ करती थी किंतु उत्तर वैदिक काल से नारियों की दशा में गिरावट होने लगी उनके अधिकारों का पतन किया जाने लगा । मध्यकाल में तो दशा और भी दयनीय हो गई । 21वीं सदी की नारी जीवन में सुखद संभावनाओं की सदी है आज महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रिय हैं
यह सब संभव कुछ महान प्राचीन विचारकों की वजह से हो पाया है जिन्होंने महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरूक किया। महिलाओं के खिलाफ प्रचलित कुरीतियों का उन्मूलन किया।
जैसे- राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के अंत के लिए अभियान चलाया, ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा पुनर्विवाह अधिनियम की शुरुआत करवाई। 1848 में सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ पुणे में महिलाओं के लिए विद्यालय प्रारंभ किया और सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका बनी । स्वामी विवेकानंद , आचार्य विनोबा भावे जैसे कई महान व्यक्तियों ने समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए अतुलनीय योगदान दिया
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था लोगों को जगाने के लिए महिलाओं को जागृत होना आवश्यक है।
समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनके महत्व और अधिकारों के हनन करने वाले राक्षसी सोच का उन्मूलन करना होगा जैसे- भ्रूण हत्या, अशिक्षा, दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति भेदभाव , मानव तस्करी, महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा इत्यादि।
भारत सरकार द्वारा महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए और समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच लाने के लिए समय समय पर कोई योजनाओं का निर्माण किया गया ।
इनमें कुछ प्रमुख नियम है-
भारत सरकार ने 1986-87 में महिलाओं के विकास के लिए महिला प्रशिक्षण एवं रोजगार कार्यक्रम प्रारंभ किया । महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं में कौशल विकास करा कर उन्हें स्वरोजगार उत्पन्न करने योग्य बनाना है।
महिला सशक्तिकरण एवं उनके सेहत की सुरक्षा करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई । इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान किया गया।
"महिलाओं को मिला सम्मान ,
स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन"
किशोरियों की सशक्तिकरण के 2011 में राजीव गांधी योजना की शुरुआत की गई।
महिला सशक्तिकरण के लिए एक शीर्ष योजना "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत में किया गया। इस योजना का उद्देश्य गिरते लिंगानुपात को सुधारना तथा समाज में जागरूकता फैलाना है।
इनके अलावा और भी बहुत सारी योजनाएं देश में कार्यरत हैं। जैसे-
1961 में आई दहेज रुको अधिनियम, एक बराबर पारिश्रमिक अधिनियम, 2006 में आई बाल विवाह रोकथाम एक्ट, महिला हेल्पलाइन की शुरुआत, नारी शक्ति पुरस्कार, महिला पुलिस इत्यादि।
अब महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ हैं। उड़नपरी पीटी उषा, टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, सर्वश्रेष्ठ बॉक्सर मैरी कॉम, बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल, पीवी सिंधु ने यह समाज को सिद्ध कर दिखाया है।
आज महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार है यह सब उपर्युक्त योजनाओं का प्रभाव है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। और महिलाओं को शक्तिशाली बनाने से ही एक शक्तिशाली राष्ट्र की नींव रखी जा सकती है। अतः हमें भी महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए तथा समाज को जागरुक करना चाहिए।
समाज में नारी पुरुष दोनों को समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए दुनिया के किसी भी देश का विकास महिला सशक्तिकरण के आभाव में संभव नहीं है
प्राचीन भारतीय संस्कृति में नारी को स्वयं शक्ति स्वरूपा कहा गया है ऋग्वेदिक काल में नारी पुरुष के सहभागिनी हुआ करती थी किंतु उत्तर वैदिक काल से नारियों की दशा में गिरावट होने लगी उनके अधिकारों का पतन किया जाने लगा । मध्यकाल में तो दशा और भी दयनीय हो गई । 21वीं सदी की नारी जीवन में सुखद संभावनाओं की सदी है आज महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रिय हैं
यह सब संभव कुछ महान प्राचीन विचारकों की वजह से हो पाया है जिन्होंने महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरूक किया। महिलाओं के खिलाफ प्रचलित कुरीतियों का उन्मूलन किया।
जैसे- राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के अंत के लिए अभियान चलाया, ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा पुनर्विवाह अधिनियम की शुरुआत करवाई। 1848 में सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ पुणे में महिलाओं के लिए विद्यालय प्रारंभ किया और सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका बनी । स्वामी विवेकानंद , आचार्य विनोबा भावे जैसे कई महान व्यक्तियों ने समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए अतुलनीय योगदान दिया
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था लोगों को जगाने के लिए महिलाओं को जागृत होना आवश्यक है।
समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनके महत्व और अधिकारों के हनन करने वाले राक्षसी सोच का उन्मूलन करना होगा जैसे- भ्रूण हत्या, अशिक्षा, दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति भेदभाव , मानव तस्करी, महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा इत्यादि।
भारत सरकार द्वारा महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए और समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच लाने के लिए समय समय पर कोई योजनाओं का निर्माण किया गया ।
इनमें कुछ प्रमुख नियम है-
भारत सरकार ने 1986-87 में महिलाओं के विकास के लिए महिला प्रशिक्षण एवं रोजगार कार्यक्रम प्रारंभ किया । महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं में कौशल विकास करा कर उन्हें स्वरोजगार उत्पन्न करने योग्य बनाना है।
महिला सशक्तिकरण एवं उनके सेहत की सुरक्षा करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई । इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान किया गया।
"महिलाओं को मिला सम्मान ,
स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन"
किशोरियों की सशक्तिकरण के 2011 में राजीव गांधी योजना की शुरुआत की गई।
महिला सशक्तिकरण के लिए एक शीर्ष योजना "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत में किया गया। इस योजना का उद्देश्य गिरते लिंगानुपात को सुधारना तथा समाज में जागरूकता फैलाना है।
इनके अलावा और भी बहुत सारी योजनाएं देश में कार्यरत हैं। जैसे-
1961 में आई दहेज रुको अधिनियम, एक बराबर पारिश्रमिक अधिनियम, 2006 में आई बाल विवाह रोकथाम एक्ट, महिला हेल्पलाइन की शुरुआत, नारी शक्ति पुरस्कार, महिला पुलिस इत्यादि।
अब महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ हैं। उड़नपरी पीटी उषा, टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, सर्वश्रेष्ठ बॉक्सर मैरी कॉम, बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल, पीवी सिंधु ने यह समाज को सिद्ध कर दिखाया है।
आज महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार है यह सब उपर्युक्त योजनाओं का प्रभाव है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। और महिलाओं को शक्तिशाली बनाने से ही एक शक्तिशाली राष्ट्र की नींव रखी जा सकती है। अतः हमें भी महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए तथा समाज को जागरुक करना चाहिए।
आज जैसे जैसे महिला सशक्तिकरण की मांग जोर पकड़ रही है वैसे ही एक धारणा और भी बलवती होती जा रही है वह यह कि विवाह करने से नारी गुलाम हो जाती है ,पति की दासी हो जाती है और इसका परिचायक है बहुत सी स्वावलंबी महिलाओं का विवाह से दूर रहना .
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