Child labour essay in hindi

बालश्रम


बाल अवस्था वह अवस्था है जब एक बच्चा अपने बचपन को त्याग कर किशोरावस्था की ओर प्रगतिशील होता है। 5 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को इस शब्दावली के अंतर्गत रखा गया है।यह अवस्था बच्चों के पढ़ने लिखने, खेलने कूदने तथा भविष्य के जीवन यात्रा संबंधी निर्णय लेने का है। खेलने कूदने के दिनों में कोई बच्चा श्रम के लिए मजबूर हो जाए यह समाज के लिए सबसे शर्म की बात है हम बाल श्रम को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं- ऐसा कार्य जो बच्चों को उनके बचपन तथा उनके अंदर छुपी योग्यताओं, क्षमताओं से वंचित कर देता है।
 किसी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण बच्चों में ही निहित होती है। जवाहरलाल नेहरू ने बच्चों को देश की 'आशा की किरण' कह कर संबोधित किया है। भारतीय संविधान के भाग 3 के अंतर्गत अनुच्छेद 24 में बाल श्रम को गैरकानूनी तथा दंडनीय अपराध बताया गया है। भारतीय संविधान इस आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
भारत में बाल श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक है और इसका मुख्य कारण गरीबी तथा अशिक्षा। गरीब माता पिता बच्चों को घरों, दुकानों, होटलो आदी में काम करने के लिए भेज देते हैं जिससे मासूम बच्चों का बचपन नरक बन जाता है। जनसंख्या में वृद्धि से बेरोजगारी भी बढ़ रही है जो बालश्रम उत्पन्न होने का एक बहुत बड़ा कारण है। गरीब तथा अशिक्षित माता-पिता सरकार द्वारा जारी विभिन्न योजनाओं से परिचित नहीं होते और अपने बच्चों को होटल, फैक्ट्रियों में काम पर लगा देते हैं। बाल श्रम बच्चों को मौलिक अधिकारों से वंचित करती है। यह भारतीय संविधान तथा मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन करती है।
बाल श्रम को समाज से हटाने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को जागरुक बनाना होगा। उन्हें बताना होगा बच्चों को शिक्षित बनाना कैसे एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करता है। बाल मजदूरी के खिलाफ कठोर कानून की व्यवस्था करनी होगी, जिससे बाल मजदूरी कराने वाले लोगों में भय पैदा हो। अशिक्षित माता-पिता को सरकार द्वारा जारी विभिन्न योजनाओ- मुफ्त शिक्षा, मध्यान भोजन, स्कूलों में दवाई वितरण के संबंध में जानकारी देनी चाहिए।
अगर आज हम बाल श्रम को नजरअंदाज करते हैं तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह समस्या बढ़ती ही जाएगी। अब समय है सरकार तथा समाज को एक साथ कदम मिलाकर चलना चाहिय तथा समाज से इस कुरीति के उन्मूलन की यथासंभव प्रयास करना चाहिए।

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